नीमच। झाबुआ के आदिवासियों की बीड से ज्वेलरी बनाने की कला गलसन्न तक ही सीमित नहीं रही। अब महिला के आपादमस्तक की ज्वेलरी बीड से बनने लगी है। नीमच की यह कला सिंगापुर और दुबई में धूम मचा चुकी है। नीमच निवासी दयावंती यादव का वर्तमान में इंदौर ससुराल है, लेकिन बीड ज्वेलरी के प्रति उनका आकर्षण नीमच के दौरान ही हो गया था। और उसी दिन से उन्होंने इंदौर में कई लड़कियों को यह कला सिखाने का प्रयास किया, लेकिन अभी इंदौर में बीड वर्क परवान चढ़ रहा है। दयावंती यादव ने नीमच में अपनी बहन से बीड वर्क सीखा था और आज खुद सिखाने की स्थिति में है। उनका कहना है कि सुई और विशिष्ट प्रकार के धागे से तैयार यह ज्वेलरी बहुत आकर्षक और सुंदर लगती है। इसमे इतनी डिजाइन उपलब्ध है की कदरदान उसको खरीदें बिना और खरीद कर पहने बिना नहीं रह सकता। उनका कहना है कि श्रंगार की सामग्रियों के साथ ही विशिष्ट अवसरों के लिए भी उनके पास विशेष रूप से तैयार की गई ज्वेलरी है। उन्होंने अभी महानगरों में ही अपनी प्रोडक्ट का प्रदर्शन और विक्रय किया है। नीमच पीहर होने से तथा नीमच निवासियों के बीच अपनी प्रतिभा बिखेरने के लिए आई दमयंती का कहना है कि बीड़ वर्क सूक्ष्मता और धीरज के साथ किया जाने वाला वर्क है। जिसमें डिजाइन पर पूरा ध्यान देने की जरूरत होती है। मेला प्रभारी दिलीप सोनी ने बताया कि बीड की यह ज्वेलरी का नीमच में चाहे उद्गम ना हुआ है लेकिन नीमच के नाम से यह देश विदेश में विख्यात हो गई है।